Hindi Literature
Advertisement
http://www.kavitakosh.orgKkmsgchng
































CHANDER

इस शहर में

फिर से कोई हादसा

हुआ होगा


नहीं तो

इतना खामोश

और वीरान

क्यों पड़ा है यह


आदमी से

आदमी का

भरोसा उठ गया होगा


नहीं तो

इतना बेजुबां

और बेमज़ा

क्यों हुआ है यह


(2001 में रचित)

Advertisement