Hindi Literature
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CHANDER


यह बार-बार, हर बार, हर बात

क्यों टिक जाती है

सिर्फ़ रोटी पर ?


यह बार-बार, हर बार, हर रोटी

फैलकर क्यों हो जाती है

एक व्यवस्था ?


यह बार-बार, हर बार, हर व्यवस्था

क्यों हो जाती है एक राक्षस ?

क्यों लील जाती है

लोगों की सुख-सुविधाएँ ?

क्यों लगा दिया जाता है

किसी नए सूरज के उगने पर प्रतिबन्ध ?


आदमी

कहाँ-कहाँ पीड़ित नहीं है ?

अपने होने से

नहीं होने के बीच

आदमी

कहाँ-कहाँ पीड़ित नहीं है ?

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