Hindi Literature
Advertisement
http://www.kavitakosh.orgKkmsgchng
































CHANDER


एक मर्द हँसा

हँसा वह छत पर खड़ा होकर

छाती से बनियान हटाकर


फिर उसने एक टाँग निकाली

और उसे मुंडेर पर रखकर फिर हँसा

हँसा एक मर्द

मुट्ठियों से जाँघें ठोंकते हुए एक मर्द हँसा


उसने हवा खींची

गाल फुलाए और

आँखों से दूर तक देखा

फिर हँसा

हँसा वह मर्द

मुट्ठियाँ भींचकर उसने कुछ कहा

और फिर हँसा

सूरज डूब रहा था धरती उदास थी ।

Advertisement