Hindi Literature
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CHANDER


खिलने को जन्मा
दिन
मुरझाता
मैंने देखा
उसे देखा
दिन
खिलने को जन्मा

दिन जन्मा
मैं एक बार फिर जन्मा
उसे देखा
देखा चराचर

खिल रहे
अपने-अपने दुखों में बराबर
दिन खिलता
रोता
मैंने देखा

दिन
खिलने को जन्मा

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