Hindi Literature
Advertisement
http://www.kavitakosh.orgKkmsgchng
































साँचा:KKAnooditRachna


सुबह घास पर दिखे घनी

रत्न-राशि की कनी


नीलम-रूप झलकाए

हरित-मणि-सी छाए

कभी जले याकूत-सी

स्फटिक शुचि शरमाए


करे धरती का शृंगार

लगे मोहक सुभग तुषार


पल्लव-पल्लव छाए

बीज को अँखुआए

बने वह स्वाति-मुक्ता

चातक प्यास बुझाए


दुनिया में जीवन रचती

इसके बिना न घूमे धरती

Advertisement