Hindi Literature
Register
Advertisement
http://www.kavitakosh.orgKkmsgchng
































CHANDER

कुछ दु:ख झेलो

कुछ दु:ख ठेलो

कुछ राम भरोसे छोड़ दो।

दुख क्या बन्धु

बहती नदिया

नहीं एक तट रह पाती है।

जिधर चाहती

मुड जाती है

सुख-दुख बहा ले जाती है।

या धारा के संग तुम

या धारा का मुख मोड़ दो।

Advertisement