Hindi Literature
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CHANDER

वह रोज़
एक पुराने संदूक से
नए और तह किये कपड़े निकालती

थोड़ी देर उसे हाथ से सहलाने के बाद
वह सोचती कि इसे उस दिन पहनेगी
फिर उसी संदूक में आहिस्ता से
उन कपड़ों को तहाकर रख देती

जब होती कहीं आस-पड़ोस में शादी
उसको चढ़ आता है बुख़ार
और भयकर दर्द से
उसकी देह ऐंठने लगती

वह सोने से पहले
हर रात देखती एक सजा घोड़ा
जो आकाश से उतरता था
और उसे बहुत दूर ले जाता था

एक दिन
उसने दर्पण में देखे
अपने सिर में कई चाँदी के तार
उस रात घोड़ों के टापों ने
उसे रौंद डाला।

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