साँचा:KKAnooditRachna
चांद पर
जन्म नहीं लेती
एक भी गीत-कथा
चांद पर
सारी जनता
बनाती है टोकरियाँ
बुनती है पयाल से
हल्की-फुल्की टोकरियाँ
चांद पर
अंधेरा है
उसके आधे हिस्से में
और शेष में
घर हैं साफ़-सुथरे
नहीं, नहीं
घर नहीं हैं चांद पर
सिर्फ़ कबूतरख़ाने हैं
नीले-आसमानी घर
जिनमें रहते हैं कबूतर
(रचनाकाल : 1914)