Hindi Literature
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CHANDER

राग तिलक कामोद

छोड़ मत जाज्यो जी महाराज॥

मैं अबला बल नायं गुसाईं, तुमही मेरे सिरताज।
मैं गुणहीन गुण नांय गुसाईं, तुम समरथ महाराज॥

थांरी होयके किणरे जाऊं, तुमही हिबडारो साज।
मीरा के प्रभु और न कोई राखो अबके लाज॥


शब्दार्थ :- नांय = नहीं। थांरी =तुम्हारी। किणरे =किसकी। हिबडारो =हृदय के।

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