CHANDER
जो इस शोर से 'मीरं' रोता रहेगा
तो हम-साया काहे को सोता रहेगा
मैं वो रोनेवाला जहाँ से चला हूँ
जिसे अब्र हर साल रोता रहेगा
मुझे काम रोने से हरदम है नासिह्
तू कब तक मेरे मूँह को धोता रहेगा
बसे गिरिया आँखें तेरी क्या नहीं हैं
जहाँ को कहाँ तक डुबोता रहेगा
मेरे दिल ने वो नाला पैदा किया है
जरस के भी जो होश खोता रहेगा
तू यूँ गालियाँ ग़ैर को शौक़ से दे
हमें कुछ कहेगा तो होता रहेगा
बस ए 'मीर' मिज़्ह्ग़ाँ से पोंछ आँसुओं को
तू कब तक ये मोती पिरोता रहेगा