CHANDER <poem>।। राग सोरठी।।
जो तुम तोरौ रांम मैं नहीं तोरौं। तुम सौं तोरि कवन सूँ जोरौं।। टेक।। तीरथ ब्रत का न करौं अंदेसा, तुम्हारे चरन कवल का भरोसा।।१।। जहाँ जहाँ जांऊँ तहाँ तुम्हारी पूजा, तुम्ह सा देव अवर नहीं दूजा।।२।। मैं हरि प्रीति सबनि सूँ तोरी, सब स्यौं तोरि तुम्हैं स्यूँ जोरी।।३।। सब परहरि मैं तुम्हारी आसा, मन क्रम वचन कहै रैदासा।।४।।