Hindi Literature
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                        आलोक हूँ मैं

अँधेरी मानवता का नव -प्रकाश हूँ मैं ,आलोक हूँ मैं,हर सुबह का नया आगाज़ हूँ मैं |


थकित श्रमिकों का दीर्घ -उच्छावास हूँ मैं ,उल्लास हूँ मैं ,प्रिये पथिकों का प्रवास हूँ मैं |


अवरुद्ध चेतना का दीप्त -विश्वास हूँ मैं ,स्वप्न हूँ मैं ,अवकुंठित मन का आकाश हूँ मैं |


बोझिल कन्धों का लघु -अवकाश हूँ मैं ,अवलम्ब हूँ मैं ,वृद्ध तन-हेतु नव -श्वास हूँ मैं |


चिर-पराजित सभ्यता का जयघोष हूँ मैं ,अभिषेक हूँ मैं ,सृष्टी के अंतिम समर का उद्घोष हूँ मैं |

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