Hindi Literature
Advertisement

रचनाकार: जावेद अख़्तर

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

तुमको देखा तो ये ख़याल आया
ज़िन्दगी धूप तुम घना साया

आज फिर दिल ने एक तमन्ना की
आज फिर दिल को हमने समझाया

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया, हमने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ गाया

Advertisement