CHANDER
तुमने क्या नहीं देखा
आग-सी झलकती में
तुमने क्या नहीं देखा
बाढ़-सी उमड़ती में
नहीं, मुझे पहचाना
धूल भरी आंधी में
जानोगे तब जब
कुहरे-सी घिर जाऊंगी
मैं क्या हूँ मौसम
जो बार-बार आऊंगी !
CHANDER
तुमने क्या नहीं देखा
आग-सी झलकती में
तुमने क्या नहीं देखा
बाढ़-सी उमड़ती में
नहीं, मुझे पहचाना
धूल भरी आंधी में
जानोगे तब जब
कुहरे-सी घिर जाऊंगी
मैं क्या हूँ मौसम
जो बार-बार आऊंगी !