Hindi Literature
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हरे चरहिं, तापाहं बरे, फरें पसारही हाथ। तुलसी स्‍वारथ मीत सब परमारथ रघुनाथ।।

आवत ही हर्षे नही नैनन नही सनेह![]

तुलसी तहां न जाइए कंचन बरसे मेह!![]

तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहु ओर[]

बसीकरण एक मंत्र है परिहरु वचन कठोर![]

बिना तेज के पुरूष अवसि अवज्ञा होय![]

आगि बुझे ज्यों राख़ की आप छुवे सब कोय!![]

तुलसी साथी विपत्ति के विद्या, विनय, विवेक![]

साहस सुकृति सुसत्य व्रत राम भरोसे एक!!g[]

काम क्रोध मद लोभ की जो लौ मन मैं खान![]

तौ लौ पंडित मूरखों तुलसी एक समान!![]

राम नाम मनि दीप धरु जीह देहरी द्वार![]

तुलसी भीतर बहारों जौ चाह्सी उजियार!![]

नाम राम को अंक है , सब साधन है सून![]

अंक गए कछु हाथ नही, अंक रहे दस गून!![]

प्रभु तरु पर, कपि डार पर ते, आपु समान![]

तुलसी कहूँ न राम से, साहिब सील निदान!![]

हरे चरहिं, तापाहं बरे, फरें पसारही हाथ![]

तकतुलसी स्वारथ मीत सब परमारथ रघुनाथ!![]

तुलसी हरि अपमान तें होई अकाज समाज![]

राज करत रज मिली गए सकल सकुल कुरुराज!![]

राम दूरि माया बढ़ती , घटती जानि मन मांह ![]

भूरी होती रबि दूरि लखि सिर पर पगतर छांह !![]

राम राज राजत सकल धरम निरत नर नारि![]

राग न रोष न दोष दुःख सुलभ पदारथ चारी!![]

चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर ![]

तुलसीदास चंदन घिसे तिलक करे रघुबीर!![]

तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए![]

अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए!![]

नीच निचाई नही तजई, सज्जनहू के संग![]

तुलसी चंदन बिटप बसि, बिनु बिष भय न भुजंग !![]

ब्रह्मज्ञान बिनु नारि नर कहहीं न दूसरी बात![]

कायर, क्रूर , कपूत, कलि घर घर सहस अहार !![]

तुलसी पावस के समय धरी कोकिलन मौन![]

अब तो दादुर बोलिहें हमें पूछिहे कौन!![]

मनि मानेक मंv,b kbnbhnn हगे किए सहेंगे तृण, जल, नाज![]

तुलसी एते जानिए राम गरीब नेवाज!![]

होई भले के अनभलो,होई दानी के सूम![]

ोई कपूत सपूत के ज्यों;[]

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