Hindi Literature
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CHANDER <poem>त्यू तुम्ह कारन केसवे, लालचि जीव लागा। निकटि नाथ प्रापति नहीं, मन मंद अभागा।। टेक।। साइर सलिल सरोदिका, जल थल अधिकाई। स्वांति बूँद की आस है, पीव प्यास न जाई।।१।। जो रस नेही चाहिए, चितवत हूँ दूरी। पंगल फल न पहूँचई, कछू साध न पूरी।।२।। कहै रैदास अकथ कथा, उपनषद सुनी जै। जस तूँ तस तूँ तस तूँ हीं, कस ओपम दीजै।।३।।

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