Hindi Literature
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CHANDER


उस छोटे से शहर में एक सुबह

या शाम या किसी छुट्टी के दिन

मैंने देखा पेड़ों की जड़ें

मज़बूती से धरती को पकड़े हुए हैं

हवा थी जिसके चलने में अब भी एक रहस्य बचा था

सुनसान सड़क पर

अचानक कोई प्रकट हो सकता था

आ सकती थी किसी दोस्त की आवाज़


कुछ ही देर बाद

इस छोटे से शहर में आया

शोर कालिख पसीने और लालच का बड़ा शहर


(1994 में रचित)

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