Hindi Literature
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CHANDER

इन घनी अमराइयों में
इन हरी तराइयों में
फिर पुकारो मुझे
नाम लो मेरा
कि गूँजे यह धरा
रौशनी का एक शीशा साफ़ कर दो
फिर अंधेरा चीर कर उस पार कर दो
भेद कर आकाश की तनहाइयों को
फिर पुकारो मुझे
नाम लो मेरा
कि गूँजे यह धरा
हर दिशा को एक सूरज दान कर दो
फिर उजालों में नई पहचान भर दो
फूँक कर इस हवा में शहनाइयों को
फिर पुकारो मुझे
नाम लो मेरा
कि गूँजे यह धरा
बादलों में दर्द है कुछ टीसता है
सर्द आतिश में कहीं कुछ भीगता है
पार कर के हृदय की गहराइयों को
फिर पुकारो मुझे
नाम लो मेरा
कि गूँजे यह धरा

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