Hindi Literature
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पायो जी मैने राम रतन धन पायो


वस्तु अमोलिक दी मेरे सत्गुरु

किरपा कर अपनायो - पायो जी मैने


जनम जनम की पुंजी पायी

जग मे साखोवायो - पायो जी मैने


खर्चे ने खूटे चोर न लूटे

दिन दिन बढत सवायो -पायो जी मैने


सत कि नाव केवाटिया सत्गुरु

भवसागर तर्वायो - पायो जी मैने


मीरा के प्रभु गिरधर नागर

हर्ष हर्ष जस गायो - पायो जी मैने

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