रचना संदर्भ | रचनाकार: | मीराबाई | |
पुस्तक: | प्रकाशक: | ||
वर्ष: | पृष्ठ संख्या: |
प्रभुजी थे कहाँ गया, नेहड़ो लगाय।
छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेम की बाती बलाय।।
बिरह समंद में छोड़ गया छो हकी नाव चलाय।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे तुम बिन रह्यो न जाय।।
रचना संदर्भ | रचनाकार: | मीराबाई | |
पुस्तक: | प्रकाशक: | ||
वर्ष: | पृष्ठ संख्या: |
प्रभुजी थे कहाँ गया, नेहड़ो लगाय।
छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेम की बाती बलाय।।
बिरह समंद में छोड़ गया छो हकी नाव चलाय।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे तुम बिन रह्यो न जाय।।