Hindi Literature
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CHANDER


फूलों का एक गुच्छा है उसके हाथ में और वह

बढ़ रही है बाग की तरफ़


बन्द है बाग कि अचानक फूलों के गुच्छे

चाबियों में बदल गए

वह बाग को खोल रही है

वह हवा की तरह प्रवेश कर रही है बाग में

बाग में मच गई है हलचल

उसके स्वागत में हिलने लगी हैं शाखें


रास्ते में बिछने लगे हैं फूल

गूँजने लगे हैं कलरव

आश्चर्य से भर गई हैं सभी चीज़ें


ऎसा आश्चर्य तब होता है जब वह आती है

खनकती हुई बाग में अपूर्व उल्लास के साथ


एक साथ बजने लगते हैं हज़ारों घूंघरू

सम्पन्न हो रहा हो जैसे कोई नृत्य-उत्सव

फूलों के कई रंगों में लहकने लगता है उपवन

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