Hindi Literature
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CHANDER


इस बीच सब इन्हें भूल जाते हैं


किसी को याद नहीं रहता

सींकों पर पुराने कपड़ों

और रंगीन धागों की कारीगरी

घर में किस जगह रखी है


कोई नहीं बता पाता

खजूर के पत्तों में बसे

ठंडी हवा के झोंके

किस कोने में पड़े हैं घर के


पर ज्यों ही मौसम की देह

दहकना शुरू होती है

मँ इन्हें बाहर निकालती है

और कहती है

क्या भरोसा बिजली का

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