Hindi Literature
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रचनाकार: नागार्जुन

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ख़ून-पसीना किया बाप ने एक, जुटाई फीस

आँख निकल आई पढ़-पढ़के, नम्बर पाए तीस

शिक्षा मंत्री ने सिनेट से कहा--"अजी शाबाश !

सोना हो जाता हराम यदि ज़्यादा होते पास"

फेल पुत्र का पिता दुखी है, सिर धुनती है माता

जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता

(1953 में रचित)

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