Hindi Literature
Advertisement
रचना संदर्भरचनाकार:  मीराबाई
पुस्तक:  प्रकाशक:  
वर्ष:  पृष्ठ संख्या:  

जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।
रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।।
गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।।
उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढ़े द्वारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।
ग्वाल बाल सब करत कुलाहल जय जय सबद उचारे।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर शरण आयाकूं तारे।।
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।।

Advertisement