CHANDER
यह जो फूटा पड़ता है
हरा, पत्तों से--
धूप के आर-पार
वही फूट आता है
किसी और जगह,
किसी और सुबह ।
भरोसा है तो
इसी हरे का ।
CHANDER
यह जो फूटा पड़ता है
हरा, पत्तों से--
धूप के आर-पार
वही फूट आता है
किसी और जगह,
किसी और सुबह ।
भरोसा है तो
इसी हरे का ।