Hindi Literature
Advertisement
http://www.kavitakosh.orgKkmsgchng
































CHANDER

आ, के वाबस्ता हैं उस हुस्न की यादें तुझसे
जिसने इस दिल को परीखाना बना रखा है
जिसकी उल्फ़त में भुला रखी थी दुनिया हमने
दहर को दहर का अफ़साना बना रखा है

आशना हैं तेरे कदमों से वो राहें जिन पर
उसकी मदहोश जवानी ने इनायत की है
कारवां गुज़रे हैं जिनसे उसी रा'नाई के
जिसकी इन आखों ने बेसूद इबादत की है

तुझसे खेली हैं वो महबूब हवायें जिनमें
उसकी मलबूस की अफ़सुर्दा महक बाकी है
तुझ पर भी बरसा है उस बाम से महताब का नूर
जिसमें बीती हुई रातों की कसक बाकी है

तूने देखी है वो पेशानी, वो रुखसार, वो होंठ
ज़िन्दगी जिनके तसव्वुर में लुटा दी हमने
तुझ पे उठी हैं वो खोयी हुई साहिर आंखें
तुझको मालूम है क्यों उम्र गंवा दी हमने

Advertisement