Hindi Literature
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CHANDER


बहुत देर हो गई थी

घर जाने का कोई रास्ता नहीं बचा

तब एक दोस्त आया

मेरे साथ मुझे छोड़ने


अथाह रात थी

जिसकी कई परतें हमने पार कीं

हम एक बाढ़ में डूबने

एक आँधी में उड़ने से बचे

हमने एक बहुत पुरानी चीख़ सुनी

बन्दूकें देखीं जो हमेशा

तैयार रहती हैं

किसी ने हमें जगह जगह रोका

चेतावनी देते हुए

हमने देखे आधे पागल और भिखारी

तारों की ओर टकटकी बाँधे हुए


मैंने कहा दोस्त मुझे थामो

बचाओ गिरने से

तेज़ी से ले चलो

लोहे और ख़ून की नदी के पार


सुबह मैं उठा

मैंने सुनी दोस्त की आवाज़

और ली एक गहरी साँस ।


(1989)

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