Hindi Literature
Advertisement
http://www.kavitakosh.orgKkmsgchng
































साँचा:KKAnooditRachna


रूस की यह कविता

कितनी सुन्दर

कितनी अद्भुत्त

जैसे सघन फसल में विहँसता खेत कोई

खिले जिसमें ख़ूबसूरत फूल

गूँज रहा नाद स्वर

झींगुर का संगीत कितना मधुर

दमक रहे जुगनू बहुत


देखा मैंने यह क्या ?

उतर आए 'व्यंग्यकार' कविता में

तय है अब

जल्दी ही नष्ट कर देंगे वे

टिड्डी दल की तरह

भरी-पूरी विहँसती फसल यह...


रचनाकाल : 1989

Advertisement