Hindi Literature
Advertisement
http://www.kavitakosh.orgKkmsgchng
































CHANDER


उचकी वह पंजों पर थोड़ा-सा

फिर मेरी ओर होंठ बढ़ाए

चूमा उसे मैं ने यों, ज्यों मारा कोड़ा-सा

यह अहम हमारा हमें लड़ाए


फिर झरने लगे आँसू वहाँ निरंतर

धुल गए बोझल से वे पल-छिन

सावन की बारिश में निःस्वर

डूब गया वह उदास दिन


(2006 में रचित)

Advertisement