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दलित आदिवासी
ग़ज़ल
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कविता कोश में ग़ज़ले
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अ
अँधेरों की सियाही को तुम्हें धोने नहीं देंगे / द्विजेन्द्र 'द्विज'
अंग—अंग में रूप रंग है / सुरेश चन्द्र शौक़
अंजाम आज खुद़ / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
अंतस में दुबकाकर रखना / जहीर कुरैशी
अंधेरी गली में मेरा घर रहा है / देवी नागरानी
अक़ल का कब्ज़ा हटाया जा रहा है / विनय कुमार
अक्सर मुझको अपने / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
अगर ख़ुदा न करे सच ये ख़्वाब हो जाए / दुष्यंत कुमार
अगर मैं धूप के सौदागरों से डर जाता / ज्ञान प्रकाश विवेक
अगर वो कारवाँ को छोड़ कर बाहर नहीं आता / द्विजेन्द्र 'द्विज'
अगर्चे कहने को हमसायगी है / सुरेश चन्द्र शौक़
अजीब बात है खुद से नज़र चुराता है / सुरेश चन्द्र शौक़
अथक प्रयास के उजले विचार से निकली / जहीर कुरैशी
अदृश्य थे, मगर थे बहुत से सहारे साथ / शैलेश ज़ैदी
अधिक नहीं,वे अधिकतर की बात करते हैं / जहीर कुरैशी
अनावश्यक से मुझको प्यार / जहीर कुरैशी
अनैतिकता के चश्मों को / जहीर कुरैशी
अपनी ख़ुशी / पूर्णिमा वर्मन
अपनी फ़ितरत वो कब बदलता है / साग़र पालमपुरी
अपनी फुलवारी की सीमा / जहीर कुरैशी
अपनी मंज़िल से कहीं दूर / साग़र पालमपुरी
अपनी-अपनी बात / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
अपने कद की लड़ाई लड़ी / जहीर कुरैशी
अपने तड़पने की / मीर तक़ी 'मीर'
अपने पास और क्या रहा है मियाँ / सुरेश चन्द्र शौक़
अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले / इब्ने इंशा
अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा / वसीम बरेलवी
अपने ही परिवेश से अंजान है / साग़र पालमपुरी
अपाहिज व्यथा को वहन कर रहा हूँ / दुष्यंत कुमार
अब अपनी ज़ात का इर्फ़ान हो गया है / सुरेश चन्द्र शौक़
अब किस का जश्न मनाते हो / फ़राज़
अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार / दुष्यंत कुमार
अब के तज्दीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँ / फ़राज़
अब के भी आकर वो कोई हादसा दे जाएगा / द्विजेन्द्र 'द्विज'
अब के रुत बदली तो ख़ुशबू का सफ़र देखेगा कौन / फ़राज़
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें / फ़राज़
अब क्या बताएँ क्या हुए चिड़ियों के घोंसले / साग़र पालमपुरी
अब तक तो / अहमद नदीम क़ासमी
अब नये साल की मोहलत नहीं मिलने वाली / फ़राज़
अब बुज़ुर्गों के / उर्मिलेश
अयाँ है हर तरफ़ आलम में / वली दक्कनी
अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा / गा़लिब
अर्ज़—ओ—समाँ में / साग़र पालमपुरी
अलग मुस्कान मुद्राएँ अलग हैं / जहीर कुरैशी
अश्क आँखों में तो होंटों में फ़ुगाँ होती है / सुरेश चन्द्र शौक़
अश्क आंखों में कब नहीं आता / मीर तक़ी 'मीर'
असर उसको ज़रा नहीं होता / मोमिन
अह्दे —उल्फ़त का हर इक लफ़्ज़ मिटाया होता / सुरेश चन्द्र शौक़
आ
आ कि मेरी जाँ को क़रार नहीं है / गा़लिब
आ गया सूरज बहुत नज़दीक अब कुछ सोचिए / विनय कुमार
आँकड़ों के ज़माने आए हैं / विनय कुमार
आँकड़ों से पीटना सरकार को महंगा पड़ा / विनय कुमार
आँख से दूर न हो / फ़राज़
आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी
आँखों से सिर्फ़ सच नहीं, सपना भी देखिए / जहीर कुरैशी
आँसुओं की धार को बंदी बना लेते हैं लोग / जहीर कुरैशी
आँसुओं से रात का दामन अगर भीगा तो क्या / शैलेश ज़ैदी
आंधियों के भी पर कतरते हैं / देवी नांगरानी
आइने कितने यहाँ टूट चुके हैं अब तक / द्विजेन्द्र 'द्विज'
आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे / गा़लिब
आग ग़ज़लों को पिलाकर सर्दज़ाँ हो जाइए / विनय कुमार
आज फिर दिल ने कहा आओ भुला दें यादें / फ़राज़
आज वीरान अपना घर देखा / दुष्यंत कुमार
आज सड़कों पर / दुष्यंत कुमार
आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख / दुष्यंत कुमार
आज हम धूप खाने आए हैं / देवी नागरानी
आज है, कल हुई / उर्मिलेश
आततायी जल हटाना चाहते हैं बुलबुले / विनय कुमार
आदमी अब भी कहाँ आज़ाद है/ प्रफुल्ल कुमार परवेज़
आदमी खुद / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
आप तालाब में ज़हर रखिए / विनय कुमार
आप बदले तो कहाँ हम भी पुराने से रहे / विनय कुमार
आपकी कश्ती में बैठे, ढूँढते साहिल रहे / द्विजेन्द्र 'द्विज'
आपकी खुशुबुएँ उड़ा लाए / विनय कुमार
आपकी शह पर कुएँ का जल समूचा पी गयी / विनय कुमार
आपके ईमान के जैसा हुआ है आईना / विनय कुमार
आपने इतना दिया है ध्यान सड़कों पर / द्विजेन्द्र 'द्विज'
आपस में इसलिए ही भरोसे नहीं रहे / जहीर कुरैशी
आमद-ए-ख़त से हुआ है / गा़लिब
आरिज़ों की धनक में क्या कुछ था / सुरेश चन्द्र शौक़
आशिक़ी बेदिली से मुश्किल है / फ़राज़
आशियाँ उजड़े तो बुलबुल ने बहाये आँसू / साग़र पालमपुरी
आसमानों में गरजना और है / द्विजेन्द्र 'द्विज'
आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक / गा़लिब
आहिस्ता आहिस्ता / वली दक्कनी
इ
इंक़लाब अपना काम करके रहा / अहमद नदीम क़ासमी
इंद्रधनुष में जैसे रंग / देवमणि पांडेय
इक बियाबान में सपनों के सफ़र होता है / विनय कुमार
इक शोख़ इशारा है कचनार के फूलों में / देवमणि पांडेय
इतने भी तन्हा थे दिल के कब दरवाज़े / सुरेश चन्द्र शौक़
इन बस्तियों में धूल-धुआँ फाँकते हुए / द्विजेन्द्र 'द्विज'
इन्हीं ख़ुश-गुमानियों में कहीं जाँ से भी न जाओ / फ़राज़
इन्हीं हाथों ने बेशक विश्व का इतिहास लिक्खा है / द्विजेन्द्र 'द्विज'
इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई / ग़ालिब
इरादे थे क्या और क्या कर चले / साग़र पालमपुरी
इश्क़ तासीर से नौमेद नहीं / ग़ालिब
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही / ग़ालिब
इश्रत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना / ग़ालिब
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की / फ़राज़
इस जीवन का सार / जहीर कुरैशी
इस दौर-ए-बेजुनूँ की कहानी कोई लिखो / फ़राज़
इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है / दुष्यंत कुमार
इस रास्ते के नाम लिखो एक शाम और / दुष्यंत कुमार
इस से पहले के बेवफ़ा हो जायें / फ़राज़
इसके सुलगाने में यारो इस क़दर हैं ख़ामियाँ / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
इसी तरह से ये काँटा निकाल देते हैं / द्विजेन्द्र 'द्विज'
उ
उघड़ी चितवन / द्विजेन्द्र 'द्विज'
उड़ गए बालो-पर उड़ानों में / देवी नांगरानी
उड़ गए बालो-पर उड़ानों में... / देवी नांगरानी
उदासी के मंज़र मकानों में हैं / देवमणि पांडेय
उदासी में डूब जाता है / देवी नागरानी
उधर रहज़न इधर रहबर ज़ियादा / सुरेश चन्द्र शौक़
उनका विस्तार ही नहीं होता / द्विजेन्द्र 'द्विज'
उनकी आदत बुलंदियों वाली / द्विजेन्द्र 'द्विज'
उनसे मिलने की आस बाकी है/ जहीर कुरैशी
उन्हें शौक़-ए-इबादत भी है / अकबर इलाहाबादी
उमड़े हुए अश्कों को रवानी नहीं देता / साग़र पालमपुरी
उर्दू में ग़ज़ल कहिए हिन्दी में ग़ज़ल कहिए / विनय कुमार
उलझनों को मैं / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
उस आदमी का ग़ज़लें कहना क़ुसूर होगा / द्विजेन्द्र 'द्विज'
उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किये / ग़ालिब
उसकी आँखें जो दिल में उतर जायेंगी / शैलेश ज़ैदी
उसकूँ हासिल क्योंकर होए जग में / वली दक्कनी
उसके इरादे साफ़ थे, उसकी उठान साफ़ / द्विजेन्द्र 'द्विज'
उसने इतना तो सलीका रक्खा / ज्ञान प्रकाश विवेक
ए
एक एक क़तरे का मुझे देना पड़ा हिसाब / ग़ालिब
एक एक शख्स तौलती आंखें / प्रताप सोमवंशी
एक कबूतर चिठ्ठी ले कर पहली—पहली बार उड़ा / दुष्यंत कुमार
एक क़तरा भी जहाँ बेमौत मारा जाएगा / विनय कुमार
एक चुप्पी आजकल सारे शहर पर छाई है / द्विजेन्द्र 'द्विज'
एक पत्थर को निशाना साधकर छोड़ा गया / विनय कुमार
एक भी मिसरा सुबह की धूप से कमतर नहीं / विनय कुमार
एक मुजरिम को मसीहा नहीं बता सकते / विनय कुमार
एक मुश्किल-सी / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
एक वो तेरी याद का लम्हा / साग़र पालमपुरी
एक सच के मायने सौ कर लिए मुमकिन जनाब / विनय कुमार
ऐ
ऐ जज्बा-ए-निहां और कोई है कि वही है / फ़िराक़ गोरखपुरी
ऐ दिल नाहक़ रंज न कर तू / सुरेश चन्द्र शौक़
ऐसे कर्फ़्यू में भला कौन है आने वाला / ज्ञान प्रकाश विवेक
ऐसे चुप हैं के ये मंज़िल भी ख़ड़ी हो जैसे / फ़राज़
औ
औघड़ पर्वत के उलझे केशों में रस्ते ढूँढ लिए/ जहीर कुरैशी
औज़ार बाँट कर ये सभी तोड़—फोड़ के / द्विजेन्द्र 'द्विज'
और तो कह दी सारी बात / सुरेश चन्द्र शौक़
क
कई तनाव कई उलझनों के बीच / जहीर कुरैशी
कच्चे बखिए की तरह रिश्ते उधड़ जाते हैं / निदा फ़ाज़ली
कटे थे कल जो यहाँ जंगलों की भाषा मे / द्विजेन्द्र 'द्विज'
कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो / फ़राज़
कब ऐसा सोचा था मैंने मौसम भी छल जाएगा / देवमणि पांडेय
कब मेरे दिल में कोई और ख़्याल आता है / सुरेश चन्द्र शौक़
कब वो सुनता है कहानी मेरी / ग़ालिब
कभी इधर से कभी हम उधर से गुज़रे हैं / सुरेश चन्द्र शौक़
कभी इस दिल में उतर कर देखें / सुरेश चन्द्र शौक़
कभी जो आया था पल भर को / जहीर कुरैशी
कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाये है मुझ से / ग़ालिब
कभी पाबंदियों से छूट के भी दम घुटने लगता है / फ़िराक़ गोरखपुरी
कभी—कभी हमें ऐसे भी स्वप्न आते हैं/ जहीर कुरैशी
कमीज उनकी है लेकिन बदन हमारा है / जहीर कुरैशी
कर रहे हैं सब हरे पत्ते इसे महसूस / विनय कुमार
करम ख़ुदा का है सब पर / देवी नागरानी
करूँ न याद अगर किस तरह भुलाऊँ उसे / फ़राज़
कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं / ग़ालिब
कल्पना जिनकी यत्नहीन रही / जहीर कुरैशी
कशिश ही ऐसी है कुछ मेरे दिल के छालों में / सुरेश चन्द्र शौक़
कह रहे औज़ार साये से कि घबराये नहीं / विनय कुमार
कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया / ग़ालिब
कहा था किस ने के अह्द-ए-वफ़ा करो उससे / फ़राज़
कहाँ चला गया बचपन का वो समाँ यारो / साग़र पालमपुरी
कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए / दुष्यंत कुमार
कहाँ पहुँचे सुहाने मंज़रों तक / द्विजेन्द्र 'द्विज'
कहां धुआं है कहां आग / प्रताप सोमवंशी
कहीं पे धूप / दुष्यंत कुमार
कहें वे लाख हमारे दिलों में रहते हैं / विनय कुमार
क़तरा-क़तरा बिखर गए बादल / विनय कुमार
क़तरे को इक दरिया समझा / देवमणि पांडेय
क़द्र रखती न थी मता-ए-दिल / मीर तक़ी 'मीर'
कांच के घर साथ रहते हैं / जहीर कुरैशी
काटते—काटते वन गया / जहीर कुरैशी
कानों में लफ़्ज़ों का कचरा उफ़ मैने कुछ सुना नहीं / विनय कुमार
काश वो इक पल ही आ जाते / साग़र पालमपुरी
कितना प्रतिभाशाली है / प्रताप सोमवंशी
कितना यहाँ के लोगों में है / साग़र पालमपुरी
कितनी क्या देर है सवेरे में / जहीर कुरैशी
कितनी हसीं है शाम सुनाओ कोई ग़ज़ल / साग़र पालमपुरी
कितने आफ़ात से लड़ी हूँ मैं / देवी नागरानी
कितने पिये है दर्द के / देवी नांगरानी
कितने पिये हैं दर्द के आँसू... / देवी नागरानी
कितने सैनिक, कितने पहरे / विनय कुमार
किन रिवाज़ों के शहर में आ गए बसने लगे / विनय कुमार
किया मुझ इश्क़ ने ज़ालिम / वली दक्कनी
किस को क़ातिल / अहमद नदीम क़ासमी
किस को है मालूम न जाने कब जीवन की साँझ ढले / साग़र पालमपुरी
किसके भरोसे / किशोर काबरा
किसने कहा / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
किसी का यूं तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी / फ़िराक़ गोरखपुरी
किसी के पास वो तर्ज़े-बयाँ नहीं देखा / द्विजेन्द्र 'द्विज'
किसी को क्या पता था इस अदा पर मर मिटेंगे हम / दुष्यंत कुमार
किसी को दे के दिल कोई नवासंजे-फ़ुग़ाँ क्यों हो / ग़ालिब
किसी तट पर / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
किसी ने रक़्स की बज़्म सजाई / सुरेश चन्द्र शौक़
किसी सूरत न होगी इल्तिजा हमसे / सुरेश चन्द्र शौक़
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