Hindi Literature
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CHANDER <poem>।। राग गौड़ी पूर्वी।।

सगल भव के नाइका। इकु छिनु दरसु दिखाइ जी।। टेक।। कूप भरिओ जैसे दादिरा, कछु देसु बिदेसु न बूझ। ऐसे मेरा मन बिखिआ बिमोहिआ, कछु आरा पारु न सूझ।।१।। मलिन भई मति माधव, तेरी गति लखी न जाइ। करहु क्रिपा भ्रमु चूकई, मैं सुमति देहु समझाइ।।२।। जोगीसर पावहि नहीं, तुअ गुण कथन अपार। प्रेम भगति कै कारणै, कहु रविदास चमार।।३।।

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