Hindi Literature
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CHANDER


आपकी इस्लाह के लिए शुक्रिया

मुझे आपकी बात की

इसलिए परवाह नहीं

क्योंकि मेरे पाँव

सही ज़मीन पर टिके हैं

ये ज़मीन मुझे गर उछाल नहीं सकती

तो गिरा भी नहीं सकती

कितनी मुश्किल से मिलती है

किसी को सही ज़मीन!

.............

तुम्हें तुम्हारा आकाश मुबारक !

मेरा उससे क्या वास्ता

अलग ही है

मेरी मंज़िल मेरा रास्ता

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