Hindi Literature
Advertisement
http://www.kavitakosh.orgKkmsgchng
































CHANDER


तकिए में भरी हुई है सेंमल की रूई

उड़ती हुई चिड़िया की तरह सेंमल की रूई

बोलती है चीं-चीं

जब मैं सिर के नीचे रखता हूँ तकिया


घोंसले की तरह मुलायम यह तकिया

एक कोमल हाथ का स्पर्श है

मैं चौंकता हूँ और

बार-बार खोजता हूँ पेड़ का हाथ


मेरे माथे पर रेंगती हैं सेंमल की अंगुलियाँ

उड़न-छू हो जाती है थकान


मैं इतना हल्का हो उठता हूँ कि

सेंमल की रूई की तरह उड़ सकूँ

आकाश में जैसे उड़ सकता है

पतंग की तरह थोड़ी-सी हवा में तकिया


एक दिन अगर उड़ जाए यह तकिया

मुश्किल हो जाएगा सेंमल के पेड़ को देना जवाब


सबसे ज़्यादा चिन्तित तो मैं हो जाऊंगा

तकिए के लिए जिसके अन्दर

अँखुआते हुए बीज़ मेरी नींद में बनते पेड़

वे स्वप्न बनकर छाँह की तरह मेरी नींद में छाए रहते

जिसमें मैं पा जाता खोया हुआ हाथ

Advertisement