Hindi Literature
Register
Advertisement
http://www.kavitakosh.orgKkmsgchng
































CHANDER

राग ललित

हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को।
मोर मुकुट माथे तिलक बिराजे, कुंडल अलका कारी को॥

अधर मधुर पर बंसी बजावै रीझ रिझावै राधा प्यारी को।
यह छवि देख मगन भई मीरा, मोहन गिरधर -धारी को॥

शब्दार्थ :- अलका कारी =काली अलकें। रिझावै =प्रसन्न करते हैं।

Advertisement