Hindi Literature
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CHANDER

हर बेज़बाँ को शोलानवा कह लिया करो
यारो सुकूत ही को सदा कह लिया करो

ख़ुद को फ़रेब दो कि न हो तल्ख़ ज़िन्दगी
हर सन्ग्दिल को जाने-ए-वफ़ा कह लिया करो

गर चाहते हो ख़ुश रहें कुछ बन्दगान-ए-ख़ास
जितने सनम हैं उन को ख़ुदा कह लिया करो

इन्सान का अगर क़द-ओ-क़ामत न बढ़ सके
तुम इस को नुक़्स-ए-आब-ओ-हवा कह लिया करो

अपने लिये अब एक ही राह-ए-निजात है
हर ज़ुल्म को रज़ा-ए-ख़ुदा कह लिया करो

ले दे के अब यही है निशान-ए-ज़िया "क़तील"
जब दिल जले तो उस को दिया कह लिया करो

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