CHANDER
हर बेज़बाँ को शोलानवा कह लिया करो
यारो सुकूत ही को सदा कह लिया करो
ख़ुद को फ़रेब दो कि न हो तल्ख़ ज़िन्दगी
हर सन्ग्दिल को जाने-ए-वफ़ा कह लिया करो
गर चाहते हो ख़ुश रहें कुछ बन्दगान-ए-ख़ास
जितने सनम हैं उन को ख़ुदा कह लिया करो
इन्सान का अगर क़द-ओ-क़ामत न बढ़ सके
तुम इस को नुक़्स-ए-आब-ओ-हवा कह लिया करो
अपने लिये अब एक ही राह-ए-निजात है
हर ज़ुल्म को रज़ा-ए-ख़ुदा कह लिया करो
ले दे के अब यही है निशान-ए-ज़िया "क़तील"
जब दिल जले तो उस को दिया कह लिया करो