Hindi Literature
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CHANDER


बीवी गाँव में है बीमार

यहाँ हूँ मैं बीमार

भूखा हूँ

टानूँ कैसे रिक्सा?

टानूँ नहीं रिक्सा

तो कैसे भूख मिटाऊँ

कैसे भेजूँ पइसा

बीवी गाँव में है बीमार अइसा

हाय-हाय यह जीवन भी कइसा!


बालू हूँ नदी किनारे का

धूप में तपता

बरफ़ हूँ

हर समय गलता

भइया इस जीवन को

ढोल की तरह बजाऊँ

आपको कैसा गीत सुनाऊँ ?

यहाँ यह हाल है

देखता हूँ

सब कुछ बेहाल है


भइया! नीचे से ऊपर

ऊपर से नीचे

कोई लगता है भींचे

निचोड़ रहा है

झिंझोड़ रहा है

तोड़ रहा है

फोड़ रहा है

और उधर

गाँव में बीवी बीमार!


(रचनाकाल : 1986)

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