- क्षण के संरक्षण के सनकी / केदारनाथ अग्रवाल
- क्षण भर को क्यों प्यार किया था? / हरिवंशराय बच्चन
- क्षणिकाएँ / रमा द्विवेदी
- क्षत-विक्षत / शैलेन्द्र चौहान
- क्षतशीश मगर नतशीश नहीं / हरिवंशराय बच्चन
- क्षमा प्रार्थना / काका हाथरसी
- क्षमा याचना / अटल बिहारी वाजपेयी
- क्षमाप्रार्थी हों कविगण / चन्द्रकान्त देवताले
- क्षमाप्रार्थी हों कविगण / चन्द्रकान्त देवताले
- क्षितिज के नेह का हूँ अंश / भारत यायावर
- क्षिप्रा के किनारे / महेन्द्र भटनागर
- क्षुद्र की महिमा / श्यामनन्दन किशोर
- क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी / हरिवंशराय बच्चन
- क्या वो दिन भी दिन हैं / राही मासूम रज़ा
- क्या है मेरी बारी में / हरिवंशराय बच्चन
- क्यों डरें जिन्देगी में क्या होगा / जावेद अख़्तर
- खँडहर बचे हुए हैं, इमारत नहीं रही / दुष्यंत कुमार
- खंडहर / प्रयाग शुक्ल
- खंडित मन / महेन्द्र भटनागर
- खंडिता प्रकरण / सूरदास
- खग ! उडते रेहना जीवन भर ! / गोपालदास "नीरज"
- खग उड़ते रहना जीवन भर / गोपालदास "नीरज"
- खज़ाने में तुम्हारे/ ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
- खजुराहो के मन्दिर / केदारनाथ अग्रवाल
- खटखुट / केदारनाथ अग्रवाल
- खट्टी चटनी जैसी माँ / निदा फ़ाज़ली
- खड़ी बोली / रघुवीर सहाय
- खड़ी बोली लोक गीत
- खड़े थे और... / भारत यायावर
- खड़े न रह पाये जमकर / नईम
- खण्ड एक / रामधारी सिंह "दिनकर"
- खण्ड तीन / रामधारी सिंह "दिनकर"
- खण्ड दो / रामधारी सिंह "दिनकर"
- खतरा अस्तित्व का /रमा द्विवेदी
- खतरे में है बचपन / जयप्रकाश मानस
- खत्म नहीं होता है कुछ भी / अजित कुमार
- खम्मा मारा नंदजी ना लाल / गुजराती लोक गरबा
- ख़ंजर—ब—क़फ़ है साक़ी / साग़र पालमपुरी
- ख़तरा / अरुण कमल
- ख़तरा / कुमार विकल
- ख़तरा / जयप्रकाश मानस
- ख़तरे / वेणु गोपाल
- ख़त्म-ए-शोर-ए-तूफ़ाँ / मजरूह सुल्तानपुरी
- ख़त्म हुआ तारों का राग / नासिर काज़मी
- ख़फा / मोहम्मद अलवी
- ख़बर / अरुण कमल
- ख़बर का मुँह विज्ञापन से ढका है / लीलाधर जगूड़ी
- ख़बर है / केदारनाथ अग्रवाल
- ख़मोश हो क्यों दाद-ए-जफ़ा क्यूँ नहीं देते / फ़राज़
- ख़यालो-ख़्वाब में ही महफिलें सजाता है / देवी नांगरानी
- ख़रीद-फरोख़्त / विजयशंकर चतुर्वेदी
- ख़लल / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- ख़लिश से गुज़रते रहे जो / देवी नांगरानी
- ख़लीफ़ा की खोपड़ी / अशोक चक्रधर
- ख़लीलुर्रहमान आज़मी की याद में / शहरयार
- ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया / दाग़ देहलवी
- ख़ानदानी रिश्तों में अक़्सर रक़ाबत है बहुत / बशीर बद्र
- ख़ामोश रहा जा सकता है / नोमान शौक़
- ख़ामोश रास्तों पे नई दास्ताँ लिखँ / आलोक श्रीवास्तव-१
- ख़ामोशी / नीलेश रघुवंशी
- ख़ाली समय / जयप्रकाश मानस
- ख़ालीपन / स्नेहमयी चौधरी
- ख़ास ज़ुबानी कहता है / विजय वाते
- ख़िज़ाँ के दौर में हंगामा—ए—बहार थे हम / साग़र पालमपुरी
- ख़िर्द के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं / इक़बाल
- ख़ुद अपनी आँख से / विष्णु खरे
- ख़ुद अपनी ज़िन्दगी से वेहशत सी हो गई है / जोश मलीहाबादी
- ख़ुद अपने ज़र्फ का / हनीफ़ साग़र
- ख़ुद को किस्मत से तोड़ कर देखो / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- ख़ुद को जब तक ख़ुदा न मानियेगा / सुरेश चन्द्र शौक़
- ख़ुद तो ग़मों के ही रहे हैं आस्माँ पहाड़ / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- ख़ुद भले ही झेली हो त्रासदी पहाड़ों ने / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- ख़ुद से मुँह छुपाके / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ख़ुदा का चेहरा / कुमार विकल
- ख़ुदा का फ़रमान / इक़बाल
- ख़ुदा नहीं, न सही, ना-ख़ुदा नहीं, न सही / अहमद नदीम क़ासमी
- ख़ुदा वो वक़्त न लाये / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे / बशीर बद्र
- ख़ुदाया तू बता / जाबिर हुसेन
- ख़ुर्शीद-ए-महशर की लौ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़ुश रहे या बहुत उदास रहे / बशीर बद्र
- ख़ुश हूँ कि मेरा हुस्न-ए-तलब काम तो आया / शकील बँदायूनी
- ख़ुशगवार मौसम / जयप्रकाश मानस
- ख़ुशबुओं ने हठ तजे / यश मालवीय
- ख़ुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं में / बशीर बद्र
- ख़ुशबू रचते हैं हाथ / अरुण कमल
- ख़ुशी का समय / चंद्रभूषण
- ख़ुश्बू है वो तो / परवीन शाकिर
- ख़ून का रिश्ता / विचिस्लाव कुप्रियानफ़
- ख़ून की कमी / एकांत श्रीवास्तव
- ख़ून ख़राबा उफ़ रक्तपात / तादेयुश रोज़ेविच
- ख़ून ख़राबा उर्फ़ रक्तपात/ तादेयुश रोज़ेविच
- ख़ून में लथ-पथ हो गये / शहरयार
- ख़ूनी नदी की यात्रा / कुमार विकल
- ख़ून—ए—हसरत से तेरा रंग निखारा जाए / साग़र पालमपुरी
- ख़ूब लुभाती मुंबई / देवमणि पांडेय
- ख़ूब सज रहे /नागार्जुन
- ख़ूबसूरत कविता / दिविक रमेश
- ख़ूबसूरत दिन / स्वप्निल श्रीवास्तव
- ख़ूबसूरती / वीरा
- ख़ैरियत / वीरा
- ख़ौफ़ / जयप्रकाश मानस
- ख़्वाब-बसेरा - इस वक़्त तो यूँ लगता है / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़्वाब इन आँखों से अब कोई चुरा कर ले जाये / बशीर बद्र
- ख़्वाब का दर बंद है. / शहरयार
- ख़्वाब का दर बंद है / शहरयार
- ख़्वाब को देखना कुछ बुरा तो नहीं / शहरयार
- ख़्वाब मरते नहीं / फ़राज़
- ख़्वाब में उनका यूँ आना... / सुरेश सलिल
- खा गया वक्त हमें / साग़र पालमपुरी
- खांलिक सकिसता मैं तेरा / रैदास
- खादी गीत / सोहनलाल द्विवेदी
- खानाबदोश / फ़राज़
- खामोशी / राजा खुगशाल
- खामोशी का सामान है / जोश मलीहाबादी
- खार-ओ-खस तो उठें, रास्ता तो चले / कैफ़ी आज़मी
- खारे क्यों रहे सिंधु! / महादेवी वर्मा
- खारेपन का अहसास / कन्हैयालाल नंदन
- खालीपन का संगीत / जया झा
- खिंचा चला जाता है / रघुवीर सहाय
- खिज़ां के खुश्क पत्तों से जहाँ बिखरे हुए चेहरे / विनय कुमार
- खिड़कियाँ / अशोक चक्रधर
- खिड़कियाँ / कुमार विकल
- खिड़की / ज्यून तकामी
- खिड़की / नीलेश रघुवंशी
- खिड़की / पूर्णिमा वर्मन
- खिड़की के पास वाली सीट / प्रयाग शुक्ल
- खिड़की से / वीरा
- खिल-खिल खिल-खिल हो रही / काका हाथरसी
- खिलखिलाहट / काका हाथरसी
- खिला रहता था जिनके प्यार का / साग़र पालमपुरी
- खिला है अग्निम प्रकाश / केदारनाथ अग्रवाल
- खिलाड़ी / महेन्द्र भटनागर
- खिलाफ हवा से गुजरते हुए / विनोद दास
- खिले फूल-से दिन यौवन के / ठाकुरप्रसाद सिंह
- खिलौनेवाला / सुभद्राकुमारी चौहान
- खींचो खींचो / अशोक चक्रधर
- खीजत जात माखन खात / सूरदास
- खीरा / शहंशाह आलम
- खुद ही तकदीर बनानी होगी /रमा द्विवेदी
- खुरदरे पैर / नागार्जुन
- खुलता नहीं है हाल किसी पर कहे बग़ैर / ज़फ़र
- खुला आसमान / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- खुली आँखों में / परवीन शाकिर
- खुली आँखों में आकाश / दिविक रमेश
- खुली आंखों में सपना / परवीन शाकिर
- खुली खिड़की / शम्भु बादल
- खुली पाठशाला फूलों की / तारादत्त निर्विरोध
- खुले नहीं दरवाज़े / नचिकेता
- खुले मे क़ैद / प्रमोद कौंसवाल
- खुले मे खड़े होकर / सुरेश सलिल
- खुलेगी इस नज़र पे / परवीन शाकिर
- खुश हो ए दुनिया कि एक अच्छी खबर ले आये हैं / कुमार पाशी
- खुशबू वतन की / देवी नांगरानी
- खुशी / कुमार मुकुल
- खुशी / दिविक रमेश
- खून अपना हो या पराया हो / साहिर लुधियानवी
- खूनी हस्ताक्षर / गोपाल प्रसाद व्यास
- खूनी हस्ताक्षर / गोपालप्रसाद व्यास
- खेत / दिविक रमेश
- खेत का दॄश्य / केदारनाथ अग्रवाल
- खेतिहर / महेन्द्र भटनागर
- खेतों में / महेन्द्र भटनागर
- खेल / उदय प्रकाश
- खेल / स्वप्निल श्रीवास्तव
- खेल ज्वाला से किया है! / सुमित्रा कुमारी सिन्हा
- खेलत कान्ह चले ग्वालनि सँग / सूरदास
- खेलत नँद -आँगन गोबिंद / सूरदास
- खेलत नंद-आंगन गोविन्द / सूरदास
- खेलत फाग दुहूँ तिय कौ
- खेलत बनैं घोष निकास / सूरदास
- खेलत मैं को काको गुसैयाँ / सूरदास
- खेलत स्याम ग्वालनि संग / सूरदास
- खेलत स्याम पौरि कैं बाहर ब्रज-लरिका सँग जोरी / सूरदास
- खेलन अब मेरी जाइ बलैया / सूरदास
- खेलन कौं हरि दूरि गयौ री / सूरदास
- खेलन चलौ बाल गोबिन्द / सूरदास
- खेलन जाहु बाल सब टेरत / सूरदास
- खेलन दूरि जात कत कान्हा / सूरदास
- खेलें खेल / महेन्द्र भटनागर
- खेलो ना मेरे दिल से / हक़ीक़त
- खेलौ जाइ स्याम संग राधा / सूरदास
- खेवली / धूमिल
- खो गई थी गूँज / त्रिलोचन
- खो गए चांदनी रात में / राकेश खंडेलवाल
- खोई दुनिया का सुराग़ / योगेंद्र कृष्णा
- खोज / बोधिसत्व
- खोज / मधु शर्मा
- खोट सद्भावनाओं में है / जहीर कुरैशी
- खोना-पाना / सुधीर सक्सेना
- खोया खोया मन / पूर्णिमा वर्मन
- खोया हुआ सा कुछ / निदा फ़ाज़ली
- खोयापन / गिरिधर राठी
- खोयी हुई चीज़ / प्रयाग शुक्ल
- खोये-खोये-से हो हुआ क्या है / साग़र पालमपुरी
- ख्याल रखा जाता है / योगेंद्र कृष्णा
- ख्व़ाब छीने, याद भी सारी / कमलेश भट्ट 'कमल'
- ख्वाब तो देखे / प्रताप सोमवंशी
- ख्वाबे सहर / मजाज़ लखनवी
- गँगा, बहती हो क्यूँ / नरेन्द्र शर्मा
- गँगा, बहती हो क्यूँ ?? / नरेन्द्र शर्मा
- गँगा, बहती हो क्यूँ ? / नरेन्द्र शर्मा
- गंगा, बहती हो क्यूँ / नरेन्द्र शर्मा
- गंगा / विष्णु विराट
- गंगा / सुमित्रानंदन पंत
- गंगा और महादेव / राही मासूम रजा
- गंगा की विदाई / माखनलाल चतुर्वेदी
- गंगा बहाओ / महेन्द्र भटनागर
- गंगातट / ज्ञानेन्द्रपति
- गंगोजमन / बुद्धिनाथ मिश्र
- गंध की परछाईयाँ / राकेश खंडेलवाल
- गंध में / केदारनाथ अग्रवाल
- गंधर्वसेन-मंत्री-खंड / मलिक मोहम्मद जायसी
- गंधाते शूल / तारादत्त निर्विरोध
- गई वो बात कि हो गुफ़्तगू तो क्योंकर हो / ग़ालिब
- गई हैं रूठ कर जाने कहाँ वो चाँदनी रातें / साग़र पालमपुरी
- गए स्याम ग्वालिनि -घर सूनैं / सूरदास
- गए स्याम तिहि ग्वालिनि कैं घर / सूरदास
- गगन तक मार करना आ गया है / जहीर कुरैशी
- गजल (जाने यह किससे) / कुमार मुकुल
- गट-गट सूखे एक / गगन गिल
- गठरी / गगन गिल
- गढ़ गया होगा उसे भी क्या सियासी चाक है / विनय कुमार
- गढ़ हो गुंडी उप्पर नौबत वाज / निमाड़ी
- गढ़वाली लोक गीत
- गणतंत्र-स्मारक / महेन्द्र भटनागर
- गत मास का साहित्य!! / फणीश्वरनाथ रेणु
- गति / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति
- गति / सविता सिंह
- गति का कुसूर / अशोक चक्रधर
- गति मनुष्य की / अज्ञेय
- गद्य / रघुवीर सहाय
- गधे की याद / त्रिलोचन
- गन्तव्य-बोध / महेन्द्र भटनागर
- गन्तव्य / महेन्द्र भटनागर
- गन्तव्य की ओर / महेन्द्र भटनागर
- गप्प-सबद / वीरेन डंगवाल
- गफ़लत में वक़्त अपना न खो होशियार हो / वली दक्कनी
- गम की बारिश ने भी तेरे नक्श को धोया नहीं / मुनीर नियाज़ी
- गम रहा जब तक कि दम में दम रहा / मीर तक़ी 'मीर'
- गमछा / स्वप्निल श्रीवास्तव
- गमछे की गंध / ज्ञानेन्द्रपति
- गमछे बिछा के सो गईं / प्रताप सोमवंशी
- गमन / आग्नेय
- गये दिनों का सुराग़ लेकर / नासिर काज़मी
- गरज-गरज शोर करत.../ बरसात
- गरज-बरस / निदा फ़ाज़ली
- गरबीले गरीबपरवरों को एक पर्ची / संजय चतुर्वेद
- गरीब का सलाम ले / गोपाल सिंह नेपाली
- गरीब वेश्या की मौत / लीलाधर जगूड़ी
- गरीबदास का शून्य / अशोक चक्रधर
- गर्दिशों ने बहुत सताया है / देवी नागरानी
- गर्भ से बाहर / मोहन राणा
- गर्म है सच की चिता / विनय कुमार
- गर्मी-ए-शौक़-ए-नज़्ज़ारा का असर तो देखो / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं / क़तील
- गर्वोन्मत, स्तब्ध और मंत्रमुग्ध / हेमन्त शेष
- गलतियाँ / विष्णु नागर
- गलियों तो गलियों री बीबी (सावन-गीत) / खड़ी बोली
- गली / मोहन राणा
- गली का सूर्यपुत्र / श्रीकांत वर्मा
- गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय / मीराबाई
- गली महानगर की / कुमार मुकुल
- गलीचा / उंगारेत्ती
- गले तक धरती में / कुंवर नारायण
- गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़... / मुनव्वर राना
- गले मुझको लगा लो ए दिलदार होली में / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- गवाँ सब बेमुरौवत / महेन्द्र भटनागर
- गश्त / अजित कुमार
- गहन है यह अंधकारा / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- गहमागहमी / वीरा
- गहे अँगुरियाँ ललन की, नँद चलन सिखावत / सूरदास
- ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया / दाग़ देहलवी
- ग़ज़ल (जाने यह किससे) / कुमार मुकुल
- ग़ज़ल / कुँअर बेचैन
- ग़ज़ल के शेर / शमशेर बहादुर सिंह
- ग़द्दार / अनवर ईरज
- ग़नीमत ख़त्म होती जा रही है / संजय चतुर्वेद
- ग़म-ए-दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की / ग़ालिब
- ग़म-ए-हयात का झगड़ा मिटा रहा है कोई / सरदार अंजुम
- ग़म का पैग़ाम बादे-सबा दे गई / देवी नागरानी
- ग़म के सांचे में ढली हो जैसे / सुरेश चन्द्र शौक़
- ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहे / बशीर बद्र
- ग़म न हो पास / जानकीवल्लभ शास्त्री
- ग़म बढ़े आते हैं / सुदर्शन फ़ाकिर
- ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएं हम / दाग़ देहलवी
- ग़मे-आशिक़ी से कह दो / शकील बँदायूनी
- ग़मों ने घेर लिया है मुझे तो क्या ग़म है / सरदार अंजुम
- ग़म—ए—अंजाम—ए—महब्बत से छुड़ाया जाये / साग़र पालमपुरी
- ग़र चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे / अदम गोंडवी
- ग़रीबी / पाब्लो नेरूदा
- ग़लतफ़हमियों का बोझ / महेन्द्र भटनागर
- ग़ालिब / त्रिलोचन
- ग़ालिब / परिचय
- ग़ैर क्या जानिये क्यों मुझको बुरा कहते हैं / फ़िराक़ गोरखपुरी
- ग़ैर ले महफ़िल में बोसे जाम के / ग़ालिब
- गा रे गा / भारत यायावर
- गाँधी / रामधारी सिंह "दिनकर"
- गाँव / धूमिल
- गाँव अपना / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
- गाँव की चिट्ठी / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
- गाँव की बात / बोधिसत्व
- गाँव के किनारे प्राइमरी स्कूल की परती पर / रमेश पाण्डेय
- गाँव के किनारे है बरगद का पेड़ / ठाकुरप्रसाद सिंह
- गाँव नही अब / श्याम सखा 'श्याम'
- गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगा / बशीर बद्र
- गाँव से घर निकलना है / यश मालवीय
- गांधी (1) / महेन्द्र भटनागर
- गांधी (2) / महेन्द्र भटनागर
- गांधी (3) / महेन्द्र भटनागर
- गांधी (4) / महेन्द्र भटनागर
- गांधी (5) / महेन्द्र भटनागर
- गांधीजी / उदय प्रकाश
- गांधीजी के जन्मदिन पर/ दुष्यंत कुमार
- गाइ गाइ अब का कहि गाऊँ / रैदास
- गाओ / त्रिलोचन
- गाओ / महेन्द्र भटनागर
- गाओ गाओ गान / त्रिलोचन
- गाओ गीत / महेन्द्र भटनागर
- गाओ वही गीत कल के / त्रिलोचन
- गाड़ता हुआ / महेन्द्र भटनागर
- गाड़ी नहीं चलती बाधा जब चलती है / हेमन्त शेष
- गाढ़े अंधेरे में / अशोक वाजपेयी
- गाढे अंधेरे में / अशोक वाजपेयी
- गाती हूँ मैं...(हज़ल)/ भारतेंदु हरिश्चन्द्र
- गान / जयशंकर प्रसाद
- गान बन कर प्राण / त्रिलोचन
- गाने के लिए गया / केदारनाथ अग्रवाल
- गाने लायक़ रचा न कोई गान / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
- गान्ही जी / कैलाश गौतम
- गाय करती है घमौनी / त्रिलोचन
- गायक / अलेक्सान्दर पूश्किन
- गायत्री मंत्र / मंत्र
- गायन-पाठ-1 / विचिस्लाव कुप्रियानफ़
- गायन-पाठ-2 / विचिस्लाव कुप्रियानफ़
- गारुड़ी कृष्ण / सूरदास
- गारुण मंत्र का कवि / शैलेन्द्र चौहान
- गालियाँ / कुमार विकल
- गालियाँ / शिरीष कुमार मौर्य
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