Hindi Literature
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जानलेवा लौकी-करेला जूस

- राजकुमार सोनी अगर आप लौकी या करेले का जूस पी रहे हैं तो सावधान हो जाएं, हो सकता है यह आपकी जान भी ले ले। दिल्ली में एक चिकित्सक और एक वैज्ञानिक की हाल ही में हुई मौत एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी से यह स्पष्ट हो गया है कि जूस अब जानलेवा साबित हो रहा है।

क्या लौकी और करेले का मिक्स जूस जहरीला हो सकता है? दिल्ली की एक घटना ने ऐसे सवाल खड़े करने पर मजबूर कर दिया है। दिल्ली में एक वैज्ञानिक की मौत लौकी और करेले का मिक्स जूस पीने के बाद हो गई। योग गुरु बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने लोगों को सलाह दी है कि वो कड़वी लौकी का जूस ना पिएं।

अगर आप लौकी का जूस पीते हैं तो जरा संभल जाइए। लौकी का जूस हो सकता है खतरनाक। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बारे में एडवाइजरी जारी की है। अपनी बेहतर सेहत के लिए अगर आप लौकी के जूस पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, तो जरा संभलकर। इसका स्वाद अच्छी तरह से परखकर ही पिएं। क्योंकि कड़वा लगने वाला लौकी का जूस खतरनाक हो सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बारे में एक एडवाइजरी जारी की है जिसके मुताबिक, लौकी का जूस पीने से पहले इसे चख लें। अगर लौकी का जूस कड़वा लगे तो इसे न पिएं। लौकी के जूस के बारे में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने एक जांच की थी।आईसीएमआर की रिपोर्ट के बाद ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने लौकी के जूस के बारे में ये एडवाइजरी जारी की थी। हाल के कुछ सालों में लोगों के बीच लौकी का जूस पीने का चलन काफी बढ़ गया है। पिछले साल 9 जुलाई को दिल्ली में एक शख्स की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने लौकी के जूस के खतरों की जांच का आदेश दिया था। आईसीएमआर ने सुझाव दिया है कि लौकी का जूस किसी और जूस के साथ मिलाकर न पिया जाए। साथ ही लौकी का जूस पीने से जरा भी दिक्कत होने पर मरीज को फौरन अस्पताल में भर्ती कराने की भी हिदायत दी गई है। सीएसआइआर के वैज्ञानिक और डिप्टी सेक्रेटरी सुशील कुमार सक्सेना की मौत की जांच यह सोचने को मजबूर करती है कहीं इनकी मौत लौकी के कड़वे जूस पीने से तो नहीं हुई है। इसी तरह की कई मौत से अभी परदा उठना बाकी है। आइसीएमआर से सब्जियों विशेषकर लौकी के जूस की जांच के लिए एक कमेटी बनाई और उसकी मीटिंग नई दिल्ली में हुई। एक टेलीविजन प्रोग्राम के दौरान बाबा ने मधुमेह और कई बीमारियों से निजात के लिए लौकी के जूस का सेवन करने की सलाह दी जिसके आधार पर वैज्ञानिक सक्सेना ने भी जूस पीना शुरू कर दिया। साथ ही करेला का जूस भी पी लिया। इसके बाद उन्हे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया जहां कोई इलाज होने से पहले ही इनकी मौत हो गई। इसी तरह ही दूसरी कई मौत भी हुई। कड़वे लौकी के जूस पीने से देश के कई हिस्सों से मौत की खबरें आने लगी। एक आइसीएमआर के वैज्ञानिक ने लौकी का कड़वा जूस नहीं पीने की सलाह दी है।

जो एक्सपर्ट कमेटी इसके लिए आईसीएमआर द्वारा बनाई गई थी वह सरकार को अपनी रिपोर्ट अगले महीने तक भेज देगी। लौकी के जूस से लाभ या हानि पर रिर्सच करने वालों से भी सूचना एकत्रित किया जा रहा है। कमेटी के द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद एक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। लोगों को बताया जाएगा कि लौकी के कड़वे जूस से क्या हानि या कितना खतरनाक है? एक आइसीएमआर के वैज्ञानिक के मुताबिक आगे भी लौकी के जूस पर रिसर्च चलता रहेगा। कुछ राष्ट्रीय लेबोरटरिज और विश्वविद्यालय भी आइसीएमआर की इसमे मदद कर रही हैं।

ये भी हो सकते हैं जानलेवा नेचरोपैथी के विशेषज्ञों, डाइटिशियनों की मानें तो कई सब्जियों और फलों को एक साथ मिलाकर बने जूस की ज्यादा मात्रा खतरनाक है। यही नहीं, सब्जियों के वास्तविक स्वाद से अलग स्वाद वाले जूस तो जानलेवा हो सकते हैं। इनका असर सीधे हार्ट, लीवर और आंत पर होता है। खराब फल या सब्जी में टॉक्सिन के कारण कड़वाहट आ जाती है। टॉक्सिक जूस के कारण लीवर, आमाशय और किडनी में सूजन आने लगती है। ज्यादा खतरनाक स्थिति आने पर उल्टियां शुरू होती हैं और मौत भी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्फेक्शन ज्यादा होने का सीधा असर ब्रेन पर पड़ता है। यही नहीं, हर फल और सब्जी के पचने का समय अलग -अलग होता है। इसके कारण अगर फल और सब्जी के जूस को साथ पीने में भी परेशानी आती है। बेमेल जूस हमेशा खतरनाक होते हैं। आम व पपीते का जूस मिलाकर पीने से एसिडिटी हो जाती है। यही बात करेला और लौकी के मिक्स जूस पर लागू होती है। लेकिन, यह पता नहीं लग पाता कि कड़वाहट लौकी के कारण आ रही है या करेले से। ऐसे में कड़वी लौकी का जूस भी आदमी पी जाता है, जबकि सामान्य से ज्यादा कड़वी लौकी में टॉक्सिन की मात्रा अधिक होने के कारण खतरनाक होती है। - मछली या मीट के बाद दूध नहीं पीएं, यह टॉक्सिक हो जाता है - रात में दही न खाएं, शरीर के लिए हानिकारक है - दिन में दूध पीने से गैस बनती है - सलाद में पत्तागोभी के इस्तेमाल से बचें, दीमागी बुखार होने की संभावना होती है - खट्टी दही से परहेज करें, जहरीली हो जाती है - तरबूज खाने के बाद पानी न पिएं, हैजा हो सकता है - बासी भोजन न खाएं, इंफेक्शन हो सकता है - एक दिन पुरानी ब्रेड न खाएं, फंगस लग जाता है - ड्रिंक के ठीक पहले या ठीक बाद मेडिसिन न लें - पीतल के गिलास में नींबू-पानी और दूध न पिएं, ज़हरीले हो जाते हैं - मिंट के बाद कोल्डड्रिंक न पिएं, यह सायनाइड हो सकता है - केले, बड़हल के साथ दही न खाएं - दूध के साथ नींबू या कोई खट्टा फल ना खाएं क्या है ऑक्सीटोसिन? ऑक्सीटोसिन स्तनपाई जीवों में पाया जाने वाला हॉर्मोन है, जिसका इस्रतेमाल फलों और सब्जियों के इंजेक्शन के रूप में किया जाता है। दूध देने वाले जानवरों में दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए इसका इंजेक्शन दिया जाता है। इसका इस्तेमाल फलों और सब्जिय़ों को तेजी से बड़ा करने के लिए होता है। रासायनिक ऑक्सीटोसिन जहर होता है।

घातक है ऑक्सीटोसिन ऑक्सीटोसिन वाले फलों और सब्जियों के इस्तेमाल से कई बीमारियां होती हैं ब्लड प्रेशर और पेट की बीमारियों के अलावा, कैंसर का कारण है। ऑक्सीटोसिन से हॉर्मोनल डिसॉर्डर होता है शरीर में ऑक्सीटोसिन की अधिकता से नपुंसकता आ सकती है।

क्या है टॉक्सिन

टॉक्सिन एक तरह का प्रोटीन होता है। यह सब्जियों और फलों में प्रोटीन के रूप में पाया जाता है। हर जीवित चीज में जैसे सब्जी फल और टॉक्सिन कीट-पंतगों में भी पाया जाता है। सब्जी में कड़वेपन का मतलब ज़्यादा टॉक्सिन है। यह कम मात्रा में नुकसानदायक नहीं होता है। लीवर के लिए घातक है सब्जी का टॉक्सिन। यह आंतों को नुकसान पहुंचाती है। टॉक्सिक लौकी खाने से कई अंग एक साथ काम करना बंद कर देते हैं।


कैसें बचें जहर से -पहले चखकर इस्तेमाल करें सब्जिय़ां -कड़वी लौकी या किसी और सब्जी का इस्तेमाल न करें -प्राकृतिक स्वाद वाली सब्जियों का ही इस्तेमाल करें -सब्जियों को नमक के पानी से धोकर निकालें जूस -अगर जहरीला जूस पी लें तो तुरंत उल्टी करें -नमक के साथ गर्म पानी पिएं -पेट के साथ 90 डिग्री का कोण बना और मुंह में उंगली डालकर उल्टी करें ये हैं खतरे फूड पॉइजनिंग, गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम, स्कारलेट फीवर, डिप्थीरिया हो सकता है। इन्फेक्शन के कारण पैदा हुए टॉक्सिन किडनी, लीवर की कार्य क्षमता बढ़ा देते हैं, जिससे शरीर के सभी अंग तेजी से काम करने लगते हैं। कुछ ही समय में इनकी गति कम होने से प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और व्यक्ति बीमार हो जाता है। हम क्या करें बगैर छीले, बिना घिसे फल-सब्जियों का इस्तेमाल नहीं करें। नमक के पानी से धोने के बाद ही जूस निकालें। प्राकृतिक स्वाद वाली सब्जियों से निकाले जूस को ही पीएं। जूस सीमित मात्रा में ही पीएं। जहरीला जूस पी लिया हो तो खूब पानी पीएं। मुंह में उंगली डालकर उल्टी करें। लेटे नहीं तथा खुली हवा में तेज-तेज सांस लें।

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